आदर्श नागरिक
नागरिक तथा देश का अभिन्न संबंध – नागरिक और देश एक-दुसरे से पूरी तरह जुड़े हुए हैं | किसी देश के नागरिक ही उसका मान-सम्मान बढ़ाते या घटाते हैं | नागरिकों से ही देश की पहचान बनती है |
देश के नियमों और कानूनों का पालनकर्ता – आदर्श नागरिक वह है जो अपने देश के सभी नियमों-कानूनों का पूरी तरह पालन करने का तात्पर्य है, वह कानून को धोखा देने की कोशिश ण करे | कानून सभी नागरिकों की सामूहिक इछ्दा को दयां में रखते हुए बनाय जाते हैं | अतः नागरिकों को चाहिए कि वे अपने पर संयम रखते हुए उन नियमों का पूरी तरह पालन करें |
अधिकार और कर्तव्य का संतुलन – केवल कर्तव्य-पालन या केवल अधिकार-भोग-दोनों गलत हैं | कर्तव्य का पालन करने वाला नागरिक श्रेष्ठ होता है | परंतु अधिकारों के प्रति सजग होना भी उसकी खूबी है | नागरिकों को चाहिए कि वे देश से मिलने वाली सुविधाओं में नियमानुसार अपना हिस्सा माँगे | उन्हें राज्य से मिलने वाली सहायता, सड़क, बिजली, पानी आदि की मूल सुविधा-असुविदा के लिए अपनी आवाज़ उठानी चाहिए |
इतिहास उदाहरण है कि महात्मा गाँधी को महान बनाया इसी जागरूकता ने | यदि वे राज्य दुवाना किए गए अन्याय का विरोध न करते तो आज भारत आज़ाद न होता |
राज्य का गौरव बढ़ाने में योगदान – अच्छा नागरिक अपने गुण, धर्म, शक्ति, बुद्धि का निवास करके राज्य का गौरव बढ़ाता है | जहाँ दारासिंह जैसे पहलवान, खुराना जैसे वैज्ञानिक, रफ़ी जैसे गायक, ध्यानचंद जैसे खिलाड़ी, सुष्मिता जैसी सुन्दरियाँ, शंकुंतला देवी जैसी गणितज्ञ, लता जैसी प्रतिभाएँ, पी.टी. ऊषा जैसी धाविकाएँ, सचिन जैसे क्रिकेटर, अमिताभ जैसे अभिनेता, मेधा पाटेकर जैसे समाज-सेवी हों, उस देश का सम्मान अपने-आप बढ़ता है | अतः देश के प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह अपनी शक्ति को उंचाइयों की और ले जाए जिससे पुरे देश का नाम ऊँचा हो |
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