विज्ञापन और हमारा जीवन
विज्ञापन का उद्देश्य – किसी वास्तु, विचार, क्रायक्रम या संदेश के प्रचार-प्रसार के लिए जो साधन-सामग्री प्रयोग में लायी जाती है, उसे विज्ञापन कहते हैं | विज्ञापन का उद्देश्य संबंधित वास्तु या संदेश को दूर-दूर तक फैलाना होता है |
विज्ञापनों के विविध प्रकार – विज्ञापनों के अनेक प्रकार होते हैं | सामाजिक विज्ञापनों के अंतर्गत दहेज, नशा, परिवार-नियोजन आदि संदेश आते हैं | विभिन्न कार्यक्रमों, रैलियों, आंदोलनों के विज्ञापन भी इसके अंतर्गत आते हैं | कुछ विज्ञापन विवाह, नौकरी, संपति की खरीद-बेच संबंदी होते हैं | सबसे लोकप्रिय और लुभावने विज्ञापन होते हैं – व्यापारिक विज्ञापन | व्यापारी और अद्दोग्पति अपने माल को दूर दूर तक बेचने के लिए अत्यंत आकषर्क विज्ञापनों का प्रयोग करते हैं |
निर्णय को प्रभावित करने में विज्ञापनों को भूमिका – मनुष्य कौन-सा माल खरीदे-इसमें विज्ञापनों की भूमिका सबसे बड़ी होती है | कोई भी व्यक्ति दुकान पर खड़ा होकर विविध वस्तुओं में से प्रसिद्ध वस्तुओं कोही चुन पाता है | चाहे बाजार में कितने भी श्रेष्ठ साबुन उपलब्ध हों, किंतु ग्राहक उन्हीं को खरीदता है जिसका उनसे विज्ञापन सुना है | जब मनुष्य भुत साडी विविधताओं में फँस जाता है तो विज्ञापन ही निर्णय करने में सहायक होते हैं |
विज्ञापनों का सामाजिक दायित्व – विज्ञापन प्रभावकारी होते हैं | इसलिए उनका सामाजिक दायित्व भी बहुत बड़ा होता है | प्राय: माल बेचने के लिए भ्रामक विज्ञापन दिए जाते हैं | गलत तथा दूषित माल बेचने के लिए भी आकर्षक सितारों का उपयोग किया जाता है | पीछे शाहरुख़ खान से खा गया कि वे कोका कोला या पेप्सी आदि हानिकारक पेयों का विज्ञापन ण करें | परंतू उन्होंनें पैसे लेलोभ में इसकी जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी | वास्तव में विज्ञापन से जुड़े हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे भ्रामक विज्ञापन न छापें | इससे समाज में गलत वस्तुओं और संदेशों का प्रचार होता है |
निष्कर्ष – निष्कर्ष यह है कि विज्ञापनों में समाज की प्रभावित करने की अदभुत शक्ति है | ये सरकार, व्यापर तथा समाज के लिए वरदान हैं | परंतु गलत हाथों में पड़कर इसका दुरुपयोग भी हो सकता है | इस दुरुपयोग से बचा जाना चाहिए |
Nice!!
ReplyDeleteIt is outstanding but I want it within 200 words
ReplyDeleteConclusion thoda bda Hona tha
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