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Wednesday, September 21, 2016



काश ! मैं सेनिक होता

तन समर्पित, मन समर्पित
और यह जीवन समर्पित 
चाहता हूँ देश की धरती !
तुझे कुछ और भी दूँ !!

-- बचपन से ही ये पंक्तियाँ मेरी रग-रग में समा गई हैं | 

सनिक होना-मेरा सपना – देशभकित के इन संस्कारों के कारण मैं जब भी अपने भविष्य का स्वयप्न बुनता हूँ तो एक भारतीय सैनिक या फोज़ी अफ़सर मेरी आँखों को सामने खड़ा हो जाता है | मैं चाहता हूँ कि बड़ा होकर तन-मन-धन से देशसेवा करूँ | देशसेवा का सबसे कठिन, चुनोतिपुरण और वीरतापुरण मार्ग है – सैनिक बनकर दुश्मन के छक्के छुड़ाना | यह मार्ग बलिदान का मार्ग है | इसमें पल-पल प्राणों का खतरा है | परिक्षण से लेकर युद्ध के मोर्चे तक, आपातकालीन सेवायों से लेकर दंगा-फसाद रोकने तक सभी काम साहसिक एवं खातरनाक होते है | खतरों में जीवन का पूरा रस सिमट आता है | मेरी यही विश्वास है कि –

जिसने मरना सीख लिया है 
जीने का अधिकार उसी को |
जो काँटों के पथ पर आया 
फूलों का उपहार उसी को ||

स्वदेश के लिए खतरे उठाने में मैं सदैव गर्व अनुभव करूँगा |

पाकिस्तान की चुनोती – कुछ वर्षोँ पहले पाकिस्तान ने कश्मीर में घुस्पैठिय भेजकर कारगिल की पहाड़ियों पर जी चुनोती कड़ी की, उसे सुनकर मेरा पोरुष रह-रहकर जोर मरने लगता है | मेरी नसें दुश्मन की छाती चीर डालने को तड़पती हैं | काश ! इस समय मैं सैनिक बनकर कारगिल में लड़ता | अपने देश की इंच-इंच भूमि मुकर करवा लेता |

मरना तो एक-न-एक दिन सभी को है ; किंतु शान से मरना किसी-किसी को नसीब होता है | मैं चाहता हूँ कि मैं भी अन-बन-शान से मरुँ | कुछ लेकर नहीं, कुछ देकर मरुँ |

मेरा प्रयास – सैनिक बनने के लिए कठोर जीवन का अभ्यास होना चाहिए | अतः मैंने कठोर व्यायाम को दिनचर्या का अंग बना लिया है | मैं रोज सुबह 4 बजे उठकर कई किलोमीटर की दोड़ लगता हूँ | मैंने नेशनल डिफेंस एकेडमी के लिए तैयारी करने का निशचय किया है | मैं स्काउट्स और एन.सी.सी. का कैडेट हूँ | मेरी एक ही इच्छा है – मैं सैनिक बनूँ और देख की रक्षा करूँ |




केसा शासन , बिना अनुशासन

भूमिका – शासन और अनुशासन दोनों में अटूट सम्बन्ध हैं | शासन अनुशासन को बनाने के एक व्यवस्था का ही नाम है | मानव –जीवन को चलने के लिए ही शासन – व्यवस्था की ज़रूरत होती है | पुरे देश चलाने के लिए तो कठोर अनुशासन और नियम-व्यवस्था की ज़रूरत होती है |

शासकों में अनुशासन की आवश्यकता -  अनुशासन  बनाने के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी शासकों की होती है | जिस देश के शासक खुद अनुशासित होते है, वहां का शासन ही नहीं पूरा जन-जीवन अनुशासित हो जाता है | जनता सता अपने बड़ो का आचरण देखती है | जब रजा धुड तपस्वी हो जाये तो जनता भोग-विलास की छूट नहीं ले सकती |

देश की वर्तमान स्थिति – दुर्भाग्य से आज स्थिति यह है कि शासन करने वाले लीग अपने-आप को सभी नियमों से ऊपर समझते है | वे अनुशासन का पालन करने में अपना अपमान मानते है | वे खुद को खुदा समझते लगते है | इसी कारन उनकी गर्दन अकड़ जाती है | वे अपनी मनमानी करे है | हे स्वय की नियम-निर्माता मानते है |

शासन में व्याप्त अनुशासन्हीनता – सचिवनियम बनाते हैं, परन्तु रिश्वत के बिना यहाँ फाइल नहीं सरकती | कचहरी में घूस न दी जाये टॉप छोटे-छोटे केस सालों-साल लटक जाते हैं | पुलिस का तो कहना ही क्या ! आज जनता का शासन, प्रशासन और सरकारी तंत्र से विश्वास उठ चूका  है | सच तो यह है कि सरकार जनता की लूट में खुद शामिल हो गई है |

न्याय में देरी – आज नेताओं, सरकारी अधिकारिओं और न्याय-व्यवस्था में ईएसआई सांठ-गाँठ हो चुकी है कि किसी राजनेता को दंड नहीं मिल पता |  इसी कारण आम आदमी के हौसले बुलंद हो गए हैं | आज भरे बाज़ार में किसी को मरकर भाग जाना बाएँ हाथ का खेल हो गया है |

समाधान – आज भारत में प्रजातंत्र है | अतः अब शासकों में अनुशासन लाने की शक्ति जनता के हाथों में है | बह अनुशासित लोगो को चुने | भ्रष्टचारियो को वोट न दे | अपराधिओं का बहिष्कार करे | अपनी भाग्य-विधाता खुद बने | तभी शासन में अनुशासन आना संभव है |


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