भारत-पाक संबंध
भारत-पाक के जटिल संबंध – भर और पाकिस्तान की तुलना एक उदार पिता और उसके बिगडैल बेटे से की जा सकती है | अखंड भारत के भड़के हुए कट्टर मुसलमानों ने अलग देख की मांग की | अंग्रेजो ने पाकिस्तान नाम से एक अलग देख बनाकर दोनों को लड़ने-भिड़ने के लिए छोड़ दिया | आज तक ये दोनों देश नोचानोची करने में लगे हुए हैं |
“ हस कर लिया है पाकिस्तान
लड़कर लेंगे हिंदुस्तान | ”
इसी आकांशा में को पालते-पालते पाकिस्तान ने 1948 में कश्मीर पर आक्रमण किया | 1965 और 1971 में युद्ध किये | तीनों बार पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी | 1971 के युद्ध में तो पाक को ऐसी करारी मर पड़ी कि उसी के अपने दो टुकड़े हो गए | एक टुकड़ा बांग्लादेश के रूप में अलग देख बन गया |
पाकिस्तान की भारत-विरोधी निति – 1971 के युद्ध के पश्चात् पाकिस्तान चोट खाए सांप की भाँती कभी चैन से नहीं बैठा | उसने शीत-युद्ध जारी रखा | उसने बार-बार विश्व के देशों के समुख एक झूठ बोलने जारी रखा कि कश्मीर भारत का नहीं, पाकिस्तान का हिस्सा है | भारत ने सदा इस निति का विरोध किया |
पाकिस्तान षडयंत्र – पाकिस्तान ने भारत के हिस्से को भारत से अलग करने के अनेक षडयंत्र किए | सन 1980 से 1992 तक उसने पंजाब में आतंकबाद फ़ैलाने की कोशिश की | जब पंजाब में सफलता नहीं मिली तो कश्मीर में आतंकबाद का जल खड़ा किया | उनकी गुपत्चर एजेंसी ने आतंकबादियों को परिक्षण देकर भारत में बम-विस्फोट कराए | संसद-भारत पर आक्रमण कराए | मंदिरों में अशांति फैलाई |
भारत के शांति-प्रयास – इधर भारत अपनी शांति-निति पर अडिग रहा | भारत ने उसकी हर गलती सहकर माफ़ कर दी | पाकिस्तानी चूहे ने समझ लिया कि भारतीय हाथी कमज़ोर है | परंतु साथ ही पाकिस्तान को छोटा भाई कहते हुए दोस्ती का हाथ बड़ा दिया | अटल बिहारी वाजपेयी दुवारा बढ़ाए गए इस हाथ के अच्छे परिणाम आय | दोनों देशों के लोग आपस में क्रिकेट-हॉकी खेलने लगे | व्यापर भी करने लगे | फिल्मों तथा कविताओं का आदान-प्रदान करने लगे | आशा थी कि दोनों देश समय के साथ-साथ आपस में प्रेम से रहना सीखेंगे | परंतु मुंबई, बैंगलोर, जयपुर और अहमदाबाद बम-विस्फोट ने फिर से सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता |
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