Friday, September 23, 2016



भारतीय मज़दूर 

भारतीय मज़दूर का चित्र – दुख, दरिद्रता, भूख, आभाव, कष्ट, मज़बूरी, शोषण और अथक परिश्रम-इन सबको मिलां दे तो भारतीय मज़दूर की तस्वीर उभर आती है |

भारतीय मज़दूर की मज़बूरी – कोई प्राणी खुश होकर मज़दूर नहीं बनता | भारतीय मज़दूर तो और भी विवश है | उसका इतना अधिक शोषण होता है की वे मुश्किल से दो वक्त का भोजन कर पते हैं | भारत में जनसंख्या इतनी अधिक है कि ढेर सारे मज़दूर खाली रह जाते हैं | परिणामस्वरूप मज़दूरी सस्ती हो जाती है | अब सरकार मज़दूरों के हितों का ध्यान रखते हुए उनका न्यूनतम वेतन तय कर देती है | इससे उन्हें काफी राहत मिलती है |

घोर परिश्रमी – भारतीय मज़दूर का जीवन घोर परिश्रम की कहानी है | वह मुँह-अँधेरे जागता है तथा दिन-भर हाड़-तोड़ परिश्रम करता है | प्रात : 8 से सांय 5 बजे तक अथक शरीरक परिश्रम करने से उनका तन चूर-चूर हो जाता है | उसके पास इतनी ताकत कठिनता से बचती है कि वः आराम की जिंदगी जी सके |

अज्ञान और अशिक्षा – अधिकांश मजदूरों के बच्चे अज्ञान और अशिक्षा में पहले हैं | मज़दूर स्वयं पढ़े-लिखे नहीं होते | न ही उसके पास पढाई के लिए धन और अवसर होता है | इक कारण वे अज्ञान, अशिक्षा और अंधविश्वास में जीते हैं | अज्ञान के ही कारण वे पढ़े-लिखों की दुनिया में ठगे जाते है | डॉक्टर उन्हें अधिक मुर्ख बनाते हैं | दुकानदार भी उनसे अधिक पैसे वसूलते हैं | बस या गाड़ी कहीं भी हों ऊँचे सम्मानपूर्वक बैठने भी नहीं दिया जाता |

प्रसन्नता के शण – मज़ुदुरों की सुखी ज़िंदगी में सुख के हरे-भरे शण तब दिखाई पड़ते है, जब वे रात्रि में ढोलक की ताल पर कहीं नाचते-झूमते नज़र आते हैं यापने देवता के चरणों में गन करते दिखाई देते है |

उत्थान के उपाय – मजदूरों की दशा में सुधार लाने के लिए अनेक मज़दूर-संगठन कार्य कर रहे है | उनके कारण मज़दूरों में नई चेता भी आई है | अभी इस शेत्र में और भी सुधार होने आवश्यक हैं | इसके लिए मजदूरों को संघर्ष करना पड़ेगा |


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